8वां वेतन आयोग
8वां वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के Terms of Reference (ToR) को आखिरकार 28 अक्टूबर 2025 को मोदी सरकार की यूनियन कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. यह फैसला देश के लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और करीब 69 लाख पेंशनर्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके जरिए उनकी सैलरी, भत्ते और पेंशन में सुधार और बदलाव की प्रक्रिया शुरू होगी.

8वें वेतन आयोग का गठन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में आयोग के गठन को हरी झंडी मिली. 8वां वेतन आयोग ये आयोग एक अस्थायी संस्था होगी और इसमें एक चेयरपर्सन, एक पार्ट टाइम सदस्य और एक मेम्बर-सेक्रेटरी होंगे. आयोग को अपनी सिफारिशें गठन की तारीख से 18 महीने के भीतर सरकार को सौंपनी होंगी और जरूरत पड़ने पर वह अंतरिम रिपोर्ट भी दे सकता है. सिफारिशें लागू होते-होते अनुमानित तौर पर 2026 की शुरुआत से आम केंद्रीय कर्मचारियों को इसका सीधा लाभ मिल सकता है.
8वें वेतन आयोग के कार्य और फोकस
आयोग के Terms of Reference में यह स्पष्ट है कि सिफारिशें बनाते समय देश की वर्तमान आर्थिक परिस्थिति, राजकोषीय अनुशासन, विकासात्मक खर्च के लिए संसाधनों की उपलब्धता, 8वां वेतन आयोग गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं का बोझ और राज्यों की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा. आयोग को सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की वेतन संरचना, सुविधाएँ और कार्यशर्तें भी ध्यान में रखने को कहा गया है. इसके अलावा, आयोग के सुझावों का राज्यों के बजट पर क्या असर होगा, इसका भी विश्लेषण जरूरी है
